पूर्वी एशिया संकट 2025: East Asia Crisis चीन–जापान संबंध बिगड़ने के कारण और भारत की रणनीतिक स्थिति

East Asia Crisis- China and Japan

पूर्वी एशिया संकट 2025: East Asia Crisis चीन–जापान संबंध बिगड़ने के कारण और भारत की रणनीतिक स्थिति

चीन–जापान विवाद 2025– East Asia Crisis

1. ताज़ा कारण / तात्कालिक ट्रिगर

  • नवंबर 2025: जापान की प्रधानमंत्री साने ताका’इची ने कहा कि यदि चीन ताइवान पर युद्धपोतों का उपयोग कर हमला करता है तो यह जापान के लिए अस्तित्वगत संकट (Existential Crisis)” होगा।
  • इससे जापान को सामूहिक आत्म-रक्षा (Collective Self-Defence) के तहत अमेरिका के साथ सैन्य कार्रवाई करने का अधिकार मिल सकता है।
  • चीन ने इसे “आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप” कहा और कड़ी प्रतिक्रिया दी।
  • ओसाका में चीन के वाणिज्य दूत की आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजदूतों को तलब किया।

2. गहरी पृष्ठभूमि

(A) ताइवान का ऐतिहासिक मुद्दा

  • ताइवान 1895–1945 तक जापान का उपनिवेश था; 1952 की सं फ्रांसिस्को संधि में इसकी संप्रभुता को स्पष्ट रूप से किसी देश को नहीं दिया गया।
  • चीन जापान की किसी भी सैन्य-संबंधी टिप्पणी को अत्यधिक संवेदनशील मानता है।

(B) जापान की बदलती सुरक्षा नीति

  • 2015 से जापान ने संविधान के अनुच्छेद 9 की व्याख्या बदलकर सामूहिक आत्म-रक्षा की अनुमति दी है।
  • रक्षा खर्च बढ़ाया जा रहा है और ताइवान के पास स्थित दक्षिण-पश्चिमी द्वीपों पर सैन्य क्षमताएँ बढ़ रही हैं।

(C) पूर्वी चीन सागर विवाद

  • सेनकाकू/दियाओयू द्वीप को लेकर दोनों देशों में पुराना क्षेत्रीय विवाद।
  • तटरक्षक दलों के बीच लगातार भिड़ंत, दिसंबर 2025 में भी नया टकराव।

3. विवाद के प्रभाव / Fallout of East Asia crisis

(A) कूटनीतिक तनाव

  • चीन की तीखी आलोचना, जापान पर “पुनः सैन्यीकरण” का आरोप।
  • चीन ने रूस व फ्रांस से जापान के विरुद्ध समर्थन माँगा।

(B) आर्थिक दबाव (Economic Coercion)

  • चीन ने जापान यात्रा पर चेतावनी जारी की →
    • बड़ी संख्या में उड़ानों की रद्दी,
    • लाखों टिकटों की वापसी,
    • जापान को पर्यटन में भारी संभावित नुकसान।
  • जापानी समुद्री-भोजन (Seafood) पर चीन का फिर से पूर्ण आयात-प्रतिबंध।
  • सांस्कृतिक/व्यापारिक आदान-प्रदान में कमी: कार्यक्रम, फ़िल्में व संयुक्त मंच स्थगित।

(C) सैन्य संदेश / शक्ति प्रदर्शन

  • चीन ने चेतावनी दी कि ताइवान मामले में हस्तक्षेप करने पर जापान “कड़ी कीमत चुकाएगा।”
  • PLA ने ताइवान व सेनकाकू क्षेत्र के पास गतिविधियाँ बढ़ाईं।
  • दुर्घटना या गलत अनुमान से टकराव का जोखिम बढ़ा।

4. भारत पर प्रभाव

(1) सामरिक (Strategic)

  • भारत–जापान और भारत–अमेरिका सहयोग और Quad की प्रासंगिकता और भी मजबूत।
  • चीन की आर्थिक दबाव नीति से भारत को अपने दृष्टिकोण में पुष्टि मिलती है।

(2) आर्थिक

  • भारत की China+1 De-risking रणनीति को गति मिलती है।
  • जापानी उद्योगों के भारत में निवेश/स्थानांतरण की संभावना बढ़ती है।

(3) समुद्री सुरक्षा

  • ताइवान संकट से हिंद महासागर–मलक्का मार्ग पर व्यापार/ऊर्जा आपूर्ति प्रभावित हो सकती है, जिसमें भारत की बड़ी निर्भरता है।
  • भारत संतुलित कूटनीति रखेगा—कानून आधारित व्यवस्था का समर्थन, पर अत्यधिक पक्षपात से बचाव।

5. दक्षिण-पूर्व एशिया व इंडो-पैसिफिक पर प्रभाव

  • ध्रुवीकरण बढ़ता:
    • चीन–रूस बनाम जापान–अमेरिका–ऑस्ट्रेलिया।
  • ASEAN देशों के लिए संतुलन (Hedging) और कठिन।
  • आशंका कि ताइवान संकट दक्षिण चीन सागर तक फैल सकता है।
  • आपूर्ति-श्रृंखला (Supply Chain) का स्थानांतरण तेज़ी से ASEAN व भारत की ओर।
  • क्षेत्र में हथियारों की दौड़ और जापान का बढ़ता सैन्यकरण।

6. अंतिम 4 पंक्तियों में सार (East Asia Crisis)

  • ताइवान मुद्दे पर जापान के बयान से विवाद शुरू।
  • पृष्ठभूमि: उपनिवेश इतिहास, जापान की नई सुरक्षा नीति, सेनकाकू विवाद।
  • प्रभाव: कूटनीतिक तनाव, चीन की आर्थिक सज़ा, सैन्य तनाव।
  • निहितार्थ: भारत-जापान सहयोग मजबूत, ASEAN पर दबाव, इंडो-पैसिफिक में ध्रुवीकरण।
BSSC CGL
East Asia crisis

Leave a Comment